परिभाषा
घनी और विषैली वायुमंडल वाली स्थलीय ग्रह वह चट्टानी पिंड है जिसकी सतह मोटी गैसीय परत से ढकी होती है। यह परत तापीय और रासायनिक इन्सुलेटर के रूप में कार्य करती है, ऊर्जा को फँसाती है और सतह की परिस्थितियों को गहराई से बदल देती है।
संरचना
इसकी घनी वायुमंडल के नीचे सिलिकेट और धातुओं से बनी ठोस पपड़ी होती है, जिसके नीचे मेंटल और आंतरिक कोर स्थित हैं। वायुमंडल अपारदर्शी और संक्षारक गैसों से भरपूर होता है, जो निचले क्षोभमंडल से ऊपरी मध्यमंडल तक कई परतों में फैला होता है।
वायुमंडल और संरचना
मुख्य गैसों में प्रायः कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन और गंधक यौगिकों के अंश शामिल होते हैं। यह संरचना प्रबल ग्रीनहाउस प्रभाव उत्पन्न करती है, जो ऊष्मा को फँसाती है और सतह पर अत्यधिक तापमान पैदा करती है। बादल घने, परावर्तक और अंतरिक्ष से दृश्यता को सीमित करते हैं।
सतह और परिस्थितियाँ
इस भारी वायुमंडल के नीचे सतह अत्यधिक दाब और स्थायी ऊष्मा का सामना करती है। भू-आकृति में ज्वालामुखीय मैदान, पर्वत और टेक्टोनिक दरारें शामिल हो सकती हैं। पपड़ी और वायुमंडल के बीच की क्रियाएँ धीमी लेकिन निरंतर होती हैं, जो प्रणाली की समग्र रसायन को प्रभावित करती हैं।
विकास
ऐसे ग्रह का निर्माण उस विकास से होता है जिसमें वाष्पशील गैसें अवशोषित या बिखरी नहीं बल्कि संचित हो गईं। ज्वालामुखीय गतिविधि, सीमित वायुमंडलीय हानि और सक्रिय तारे की निकटता गैसीय परत की घनत्व और विषाक्तता को बनाए रखती है।
सीमाएँ और अवलोकन
चरम परिस्थितियाँ किसी भी ज्ञात जीवन रूप को असंभव बनाती हैं और प्रत्यक्ष अन्वेषण को कठिन करती हैं। अवलोकन मुख्य रूप से स्पेक्ट्रोस्कोपी और रडार के माध्यम से किया जाता है, जो अपारदर्शी बादलों के नीचे की रासायनिक संरचना और स्थलाकृति का विश्लेषण करने में मदद करता है।