परिभाषा
दीर्घ-अवधि धूमकेतु एक खगोलीय वस्तु है जो बर्फ और धूल से निर्मित होती है, जिसकी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा अवधि दो शताब्दियों से अधिक होती है। ये धूमकेतु ग्रहों के परे स्थित अत्यंत दूरस्थ क्षेत्रों से उत्पन्न होते हैं।
संरचना
इनका नाभिक वाष्पशील बर्फ और खनिज कणों का एक ठोस मिश्रण होता है। सूर्य के निकट आने पर इनकी सतह का ऊर्ध्वपातन होता है, जो गैस और धूल मुक्त करता है और इस प्रकार कोमा तथा पूंछ का निर्माण होता है।
उत्पत्ति और कक्षा
अधिकांश दीर्घ-अवधि धूमकेतु दूरस्थ स्रोत क्षेत्रों, जैसे कि परिकल्पित ओर्ट बादल, से आते हैं। इनकी कक्षाएँ प्रायः अत्यधिक झुकी हुई होती हैं और किसी भी दिशा में उन्मुख हो सकती हैं।
कक्षीय व्यवहार
इनका प्रक्षेपवक्र (गतिपथ) कभी-कभी इन्हें सौरमंडल के आंतरिक भाग में ले आता है, जहाँ सूर्य की ऊष्मा धूमकेतु की सक्रियता को प्रेरित करती है। उपसौर से गुजरने के पश्चात, ये पुनः अत्यधिक दूरी पर विसर्पित (recede) हो जाते हैं।
विकास
बार-बार के गुजरने के अधीन, ये धीरे-धीरे अपनी वाष्पशील सामग्री खो सकते हैं या विखंडित हो सकते हैं। अति दीर्घ अवधि वाले धूमकेतुओं के लिए, मानव इतिहास के दौरान केवल एक ही उपसौर से गुजरना घटित हो सकता है।
सीमाएँ
इनका अवलोकन दुर्लभ और अप्रत्याशित है, क्योंकि इनकी वापसी मानव सभ्यताओं के कालखंड से भी अधिक लंबी होती है। इनका अध्ययन कक्षीय गणनाओं और असाधारण प्रक्षेपवक्रों के अवलोकन पर निर्भर करता है।